केंद्रीय बजट (Union Budget)
हर साल जब संसद में केंद्रीय बजट (Union Budget) पेश होता है, तो यह चर्चा का मुख्य विषय बन जाता है। अख़बार, टीवी और सोशल मीडिया पर हर जगह बजट की बातें होती हैं। लेकिन बहुत से लोग सोचते हैं – आखिर यह बजट क्या होता है, क्यों ज़रूरी है और यह हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है?
इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे:
- केंद्रीय बजट की परिभाषा
- इसका इतिहास
- बजट पेश करने की प्रक्रिया
- बजट के प्रकार
- इसके फायदे और महत्व
केंद्रीय बजट क्या है? (What is Union Budget ?)
केंद्रीय बजट (Union Budget) भारत सरकार का सालाना वित्तीय दस्तावेज़ है, जिसमें पूरे देश की आय (Income) और व्यय (Expenditure) का अनुमान पेश किया जाता है। इसे हर साल 1 फरवरी को संसद में वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में इसे वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) कहा गया है।
इसमें दो हिस्से होते हैं –
- राजस्व बजट (Revenue Budget) – सरकार की आमदनी और खर्च
- पूंजीगत बजट (Capital Budget) – निवेश, ऋण और संपत्ति संबंधी खर्च
संक्षेप में: केंद्रीय बजट सरकार का वह वार्षिक खाका है जो बताता है कि आने वाले वित्त वर्ष में सरकार कितनी कमाई करेगी और उस पैसे को कहाँ-कहाँ खर्च करेगी। केंद्रीय बजट भारत सरकार का सालाना वित्तीय दस्तावेज़ है, जिसमें पूरे देश की आय (Income) और व्यय (Expenditure) का अनुमान प्रस्तुत किया जाता है। इसे आम भाषा में “देश का वार्षिक हिसाब-किताब” कहा जा सकता है।
केंद्रीय बजट कौन पेश करता है?
भारत में केंद्रीय बजट हर साल 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री (Finance Minister) संसद में पेश करते हैं। संविधान के अनुसार इसे लोकसभा में सबसे पहले प्रस्तुत किया जाता है। आमतौर पर बजट 1 फरवरी को पेश किया जाता है ताकि नए वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) की शुरुआत से पहले उस पर चर्चा और मंजूरी हो सके। अगर वित्त मंत्री अनुपस्थित हों तो प्रधानमंत्री या कोई अन्य मंत्री बजट पेश कर सकते हैं, लेकिन परंपरागत रूप से यह काम हमेशा वित्त मंत्री ही करते हैं।
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केंद्रीय बजट का इतिहास (History of Union Budget)
भारत का पहला बजट 7 अप्रैल 1860 को ब्रिटिश शासन में जेम्स विल्सन ने पेश किया। स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर 1947 को आर. के. शन्मुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया। पहले बजट 28 फरवरी को पेश होता था, लेकिन 2017 से इसे 1 फरवरी को पेश किया जाने लगा।
केंद्रीय बजट की संरचना (Structure of Union Budget)
राजस्व बजट (Revenue Budget)
- इसमें सरकार की आमदनी और खर्च का ब्यौरा होता है।
- आमदनी = कर (Tax), शुल्क (Duty), गैर-कर राजस्व
- खर्च = सब्सिडी, पेंशन, वेतन, योजनाएं
पूंजीगत बजट (Capital Budget)
- इसमें दीर्घकालिक निवेश और पूंजीगत खर्च शामिल होते हैं।
- उदाहरण: रेलवे, सड़क, पुल, डिफेन्स उपकरण आदि
केंद्रीय बजट बनाने की प्रक्रिया (Budget Process in India)
- तैयारी – वित्त मंत्रालय सभी मंत्रालयों और विभागों से रिपोर्ट लेकर बजट का मसौदा तैयार करता है।
- कैबिनेट की मंजूरी – बजट पर प्रधानमंत्री और कैबिनेट की मंजूरी ली जाती है।
- प्रस्तुति – वित्त मंत्री संसद में बजट भाषण देते हैं।
- संसदीय चर्चा – संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) में बजट पर चर्चा होती है।
- वोट ऑन अकाउंट – अस्थायी खर्च की मंजूरी ली जाती है।
- पारित और कार्यान्वयन – संसद की मंजूरी के बाद बजट लागू किया जाता है।
बजट घाटा और अधिशेष (Budget Deficit & Surplus)
- राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): जब खर्च आय से ज्यादा हो।
- राजस्व घाटा (Revenue Deficit): जब राजस्व खर्च राजस्व आय से ज्यादा हो।
- प्राथमिक घाटा (Primary Deficit): राजकोषीय घाटा – ब्याज भुगतान।
- अधिशेष (Surplus): जब आय खर्च से ज्यादा हो।
केंद्रीय बजट (Union Budget) के उद्देश्य
केंद्रीय बजट (Union Budget) का मुख्य उद्देश्य केवल सरकार की आय और व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना नहीं है, बल्कि देश की आर्थिक नीतियों की दिशा तय करना भी है। इसके प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
केंद्रीय बजट के मुख्य उद्देश्य
- आर्थिक स्थिरता बनाए रखना– महंगाई और मंदी जैसी परिस्थितियों से निपटने के लिए संतुलित वित्तीय नीतियाँ लागू करना।
- संसाधनों का सही वितरण– उपलब्ध धन को शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, कृषि, उद्योग आदि क्षेत्रों में उचित अनुपात में खर्च करना।
- सामाजिक न्याय और समानता– गरीब, किसान, मजदूर, महिलाओं और पिछड़े वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएँ बनाकर आर्थिक असमानता को कम करना।
- बेरोजगारी कम करना और रोजगार सृजन– नई परियोजनाओं, स्टार्टअप्स और उद्यमिता को बढ़ावा देकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना।
- गरीबी उन्मूलन– गरीबों के लिए सब्सिडी, राशन, आवास और कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च करना।
- आर्थिक विकास को गति देना– सड़क, रेलवे, बिजली, डिजिटल इंडिया जैसी आधारभूत संरचना (Infrastructure) पर निवेश करके विकास की गति तेज करना।
- कर व्यवस्था (Taxation System) में सुधार– टैक्स को सरल, पारदर्शी और न्यायसंगत बनाना ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स दें और सरकार की आय बढ़े।
- विदेशी निवेश और व्यापार को प्रोत्साहन– निवेशकों के लिए नीतियाँ सरल बनाना और निर्यात-आयात को संतुलित करना।
- पर्यावरण और सतत विकास (Sustainable Development)– नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ भारत अभियान और हरित प्रौद्योगिकी पर खर्च करना।
- लोक कल्याण और जीवन स्तर सुधारना– शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सामाजिक सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण पर खर्च कर आम नागरिकों का जीवन स्तर ऊँचा उठाना।
संक्षेप में:
केंद्रीय बजट का उद्देश्य देश की आर्थिक स्थिरता, विकास, सामाजिक न्याय और कल्याण सुनिश्चित करना है, ताकि भारत की अर्थव्यवस्था मज़बूत हो और आम जनता को इसका लाभ मिल सके।
केंद्रीय बजट का महत्व
आर्थिक नीति का मार्गदर्शन
- केंद्रीय बजट यह तय करता है कि सरकार अगले वित्त वर्ष में किन नीतियों और योजनाओं पर ज़्यादा ध्यान देगी।
संसाधनों का उचित वितरण
- बजट के ज़रिए तय होता है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, कृषि, उद्योग आदि क्षेत्रों में कितना धन खर्च होगा।
सामाजिक न्याय और कल्याण
- गरीब, किसान, महिला, मजदूर और पिछड़े वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं में बजट से ही धन आवंटित किया जाता है।
महंगाई और आर्थिक स्थिरता पर नियंत्रण
- बजट में टैक्स, सब्सिडी और नीतियों के जरिए महंगाई और मंदी पर नियंत्रण रखने की कोशिश की जाती है।
रोजगार सृजन
- बजट में स्टार्टअप्स, इंफ्रास्ट्रक्चर और उद्योगों को प्रोत्साहन देकर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाते हैं।
गरीबी उन्मूलन
- बजट के तहत गरीबों के लिए राशन, आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी योजनाएँ चलाई जाती हैं।
निवेश और व्यापार को बढ़ावा
- बजट विदेशी निवेश (FDI), निर्यात और व्यापार को आसान बनाने वाली नीतियाँ प्रस्तुत करता है।
भविष्य की योजनाओं की झलक
- बजट से यह स्पष्ट होता है कि सरकार आने वाले समय में किन क्षेत्रों में सुधार और विकास करना चाहती है।
संक्षेप में:केंद्रीय बजट का महत्व इसलिए है क्योंकि यह देश की आर्थिक योजना, सामाजिक न्याय, विकास और जनता के कल्याण का मुख्य आधार है। यह हर नागरिक के जीवन को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।
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निष्कर्ष
केंद्रीय बजट केवल सरकार का वित्तीय दस्तावेज़ नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक दिशा और जनता की उम्मीदों का प्रतिबिंब है। हर साल का बजट यह तय करता है कि आने वाले समय में भारत की अर्थव्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ेगी और जनता को किस तरह के फायदे या चुनौतियां मिलेंगी।