CBDC: Central Bank Digital Currency क्या है? जानिए भारत में डिजिटल रुपया कैसे काम करेगा, 2025 में इसके फायदे, चुनौतियाँ और भविष्य 

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परिचय: CBDC यानी Central Bank Digital Currency क्या है? 

भारत तेजी से डिजिटल अर्थव्यवस्था (Digital Economy) की ओर बढ़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस) और डिजिटल वॉलेट्स ने हमारे लेन-देन के तरीक़ों को पूरी तरह बदल दिया है। आज गांव से लेकर शहर तक लोग नकद के बजाय ऑनलाइन भुगतान को प्राथमिकता दे रहे हैं।

इसी बदलाव को और आगे बढ़ाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक नई पहल की है – CBDC (Central Bank Digital Currency), जिसे आम भाषा में “डिजिटल रुपया” कहा जा रहा है। यह डिजिटल रुपया न तो बिटकॉइन जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसी है और न ही सिर्फ़ एक पेमेंट ऐप का फीचर, बल्कि यह भारत सरकार और RBI द्वारा जारी की जाने वाली कानूनी मुद्रा (Legal Tender) होगी।

CBDC क्या है?

CBDC (Central Bank Digital Currency) एक ऐसी डिजिटल मुद्रा है जिसे देश का केंद्रीय बैंक यानी भारत के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) जारी करता है। यह बिल्कुल उसी तरह है जैसे आज हमें ₹10, ₹50, ₹500 के नोट मिलते हैं, बस फर्क यह है कि CBDC पूरी तरह डिजिटल रूप में होगा।

आसान भाषा में कहें तो- 

CBDC एक “डिजिटल रुपया” है जो नकद नोट या सिक्कों की जगह मोबाइल वॉलेट या डिजिटल अकाउंट में रखा जाएगा। यह बिल्कुल वैसा ही कानूनी मुद्रा (Legal Tender) होगा जैसा कि आपके हाथ में रखा हुआ नकद रुपया।

CBDC की मुख्य विशेषताएँ 

  • केंद्रीय बैंक द्वारा जारी- केवल RBI इसे जारी करेगा, जैसे अभी कागज़ी नोट करता है।
  • कानूनी मान्यता (Legal Tender)- हर जगह पेमेंट के लिए स्वीकार्य होगा।
  • ब्लॉकचेन या डिजिटल लेजर पर आधारित- इससे लेन-देन सुरक्षित और तेज़ होगा।
  • नकद का विकल्प- कैश की तरह ही इस्तेमाल होगा, लेकिन डिजिटल फॉर्म में।
  • दो प्रकार :
    • Retail CBDC (e₹-R): आम जनता, व्यापारी और उपभोक्ता के लिए।
    • Wholesale CBDC (e₹-W): बड़े बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बीच लेन-देन के लिए।

CBDC और डिजिटल पेमेंट में अंतर

जब आप आज UPI, Paytm या Google Pay से भुगतान करते हैं, तो आपका पैसा बैंक अकाउंट से डेबिट होता है और बैंक के सर्वर पर लेन-देन दर्ज होता है। लेकिन CBDC सीधे RBI द्वारा जारी की गई डिजिटल करेंसी होगी, इसमें किसी प्राइवेट बैंक की मध्यस्थता (intermediary) नहीं होगी।

उदाहरण : मान लीजिए आपके पास ₹100 का डिजिटल रुपया है। आप इसे मोबाइल वॉलेट से किसी दुकान पर भुगतान करेंगे, तो यह बिल्कुल उसी तरह काम करेगा जैसे आप नकद ₹100 का नोट देते हैं।

भारत में CBDC का इतिहास और शुरुआत

भारत में डिजिटल रुपया (CBDC) की चर्चा 2017–18 से शुरू हुई थी। इसके बाद 2021 में RBI ने इस पर काम शुरू किया और 2022 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने CBDC लॉन्च करने की घोषणा की। नवंबर 2022 में Wholesale CBDC (e₹-W) का पायलट शुरू हुआ, जिसका उपयोग बैंकों और सरकारी बॉन्ड लेन-देन में हुआ। 1 दिसंबर 2022 को Retail CBDC (e₹-R) आम जनता के लिए चुनिंदा शहरों और बैंकों (SBI, ICICI, HDFC आदि) में लॉन्च किया गया।

इस पायलट प्रोजेक्ट में ग्राहकों और व्यापारियों को डिजिटल वॉलेट दिया गया, जिससे वे QR Code स्कैन करके डिजिटल रुपया ट्रांजैक्शन कर सकते थे। 2025 तक भारत में CBDC अभी भी परीक्षण चरण में है, लेकिन आने वाले समय में इसे पूरे देश में लागू करने की योजना है।

डिजिटल रुपया कैसे काम करता है?

डिजिटल रुपया (CBDC) बिल्कुल नकद की तरह ही काम करेगा, फर्क सिर्फ इतना है कि यह आपके मोबाइल वॉलेट या डिजिटल अकाउंट में होगा।

काम करने का तरीका

  • RBI जारी करेगा– डिजिटल रुपया सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किया जाएगा।
  • डिजिटल वॉलेट- बैंकों या RBI की अनुमति वाले ऐप्स में एक खास वॉलेट होगा, जिसमें डिजिटल रुपया रखा जाएगा।
  • पेमेंट तरीका- आप दुकान पर QR Code स्कैन करके या मोबाइल नंबर डालकर भुगतान कर सकेंगे।
  • ब्लॉकचेन/डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी- सभी ट्रांजैक्शन सुरक्षित और रिकॉर्डेड रहेंगे।
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 UPI और CBDC में अंतर

UPI: इसमें पैसा आपके बैंक अकाउंट से डेबिट होता है। CBDC: इसमें पैसा सीधे RBI की डिजिटल करेंसी से ट्रांसफर होगा, यानी बीच में किसी प्राइवेट बैंक की भूमिका नहीं होगी।

उदाहरण: मान लीजिए आपके वॉलेट में ₹500 का डिजिटल रुपया (e₹) है। अगर आप किसी दुकान पर खरीदारी करते हैं, तो QR Code स्कैन करके सीधे यह डिजिटल रुपया व्यापारी के वॉलेट में चला जाएगा—बिल्कुल वैसे ही जैसे आप नकद देते हैं।

CBDC और क्रिप्टोकरेंसी में अंतर

CBDC (डिजिटल रुपया) और क्रिप्टोकरेंसी दोनों ही डिजिटल रूप में मौजूद होती हैं, लेकिन इनमें कई बड़े अंतर हैं।

  • जारी करने वाला: CBDC को सीधे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) जारी करता है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी किसी भी सरकार या बैंक के नियंत्रण में नहीं होती।
  • कानूनी मान्यता: डिजिटल रुपया भारत में कानूनी मुद्रा होगा, लेकिन बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी को भारत में कानूनी मान्यता नहीं है।
  • मूल्य की स्थिरता: CBDC का मूल्य स्थिर रहेगा क्योंकि यह रुपए से जुड़ा होगा, जबकि क्रिप्टोकरेंसी का दाम बहुत तेज़ी से ऊपर-नीचे होता है।
  • नियंत्रण: CBDC पर सरकार और RBI का पूरा नियंत्रण रहेगा, वहीं क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह विकेंद्रीकृत (Decentralized) ब्लॉकचेन पर चलती है।
  • उपयोग: डिजिटल रुपया रोज़मर्रा की खरीदारी और सरकारी लेन-देन के लिए होगा, जबकि क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल अधिकतर निवेश और ट्रेडिंग के लिए किया जाता है।

सरल शब्दों में: CBDC सरकार का डिजिटल रुपया है, जबकि क्रिप्टोकरेंसी निजी और अस्थिर डिजिटल पैसा है।

भारत में डिजिटल रुपया के फायदे

तेज़ और आसान लेन-देन
  • डिजिटल रुपया से पैसा तुरंत ट्रांसफर हो जाएगा, चाहे वह देश के किसी भी हिस्से में क्यों न हो।
  • बिचौलियों (Intermediaries) की ज़रूरत कम हो जाएगी।
कम लागत (Low Transaction Cost)
  • डिजिटल पेमेंट्स में बैंकिंग चार्ज और UPI जैसे थर्ड पार्टी खर्च कम होंगे।
  • सरकार और आम जनता दोनों के लिए लेन-देन सस्ता होगा।
सुरक्षित और विश्वसनीय (Secure & Reliable)
  • यह सीधे RBI द्वारा जारी होगा, इसलिए इसमें नकली नोट या फर्जीवाड़े का डर नहीं रहेगा।
  • हर ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रहेगा जिससे धोखाधड़ी कम होगी।

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पारदर्शिता (Transparency)
  • डिजिटल रुपया से हर लेन-देन का हिसाब रहेगा।
  • टैक्स चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और काले धन पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion)
  • जिन लोगों के पास बैंक खाता नहीं है, वे भी मोबाइल और इंटरनेट के ज़रिए डिजिटल रुपया इस्तेमाल कर सकेंगे।
  • ग्रामीण और दूर-दराज़ इलाकों तक वित्तीय सेवाएँ पहुँचाना आसान होगा।
कैश पर निर्भरता कम होगी
  • नोट छापने, स्टोर करने और ट्रांसपोर्ट करने का खर्च सरकार का घटेगा।
  • नकदी से जुड़े अपराध (जैसे चोरी, नकली नोट) भी कम होंगे।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सुविधा
  • भविष्य में अगर अन्य देशों के CBDC से लिंक हो गया तो सीमा-पार लेन-देन (cross-border payments) तेज़ और आसान हो जाएगा।
  • डॉलर पर निर्भरता थोड़ी कम हो सकती है।
मौद्रिक नीति (Monetary Policy) पर नियंत्रण
  • डिजिटल रुपया से RBI को अर्थव्यवस्था पर बेहतर नज़र रखने और नीतियाँ लागू करने में आसानी होगी।
  • महंगाई और नकदी प्रवाह (cash flow) को नियंत्रित करना आसान हो सकता है।
पर्यावरण के लिए लाभदायक
  • कागज़ और प्लास्टिक के नोट छापने की ज़रूरत कम होगी।
  • इससे प्राकृतिक संसाधनों की बचत होगी।

चुनौतियाँ और जोखिम 

टेक्निकल चुनौतियाँ
  • साइबर अटैक का खतरा – डिजिटल मुद्रा पूरी तरह तकनीक पर निर्भर होगी। हैकिंग, डेटा चोरी या साइबर फ्रॉड का बड़ा रिस्क रहेगा।
  • सिस्टम फेलियर – अगर नेटवर्क डाउन हो गया या सर्वर फेल हुआ तो लोगों का लेन-देन रुक सकता है।
  • स्केलेबिलिटी – करोड़ों लोगों द्वारा एक साथ इस्तेमाल करने पर सिस्टम को संभालना आसान नहीं होगा।
गोपनीयता (Privacy Risk)
  • डिजिटल ट्रांजैक्शन को ट्रैक किया जा सकता है। इससे लोगों की निजी आर्थिक जानकारी सरकार या अन्य एजेंसियों तक पहुँच सकती है।
  • “कैश” की तरह गुमनाम लेन-देन संभव नहीं रहेगा।
बैंकों पर असर
  • अगर लोग सीधे सेंट्रल बैंक की डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल करने लगेंगे तो पारंपरिक बैंकों की भूमिका घट सकती है।
  • बैंकों में जमा कम हो सकते हैं, जिससे उनकी लोन देने की क्षमता प्रभावित होगी।
लोगों की जागरूकता और स्वीकार्यता
  • भारत जैसे देश में हर व्यक्ति डिजिटल लेन-देन में सहज नहीं है। ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट और स्मार्टफोन की कमी बड़ी चुनौती होगी।
  • बुजुर्ग या कम पढ़े-लिखे लोग नई डिजिटल करेंसी को अपनाने में हिचकिचा सकते हैं।
वित्तीय स्थिरता का जोखिम
  • अचानक लोग बैंक से पैसा निकालकर CBDC में बदल दें तो बैंकों पर “लिक्विडिटी क्राइसिस” (Liquidity Crisis) आ सकता है। अगर सही नीतियाँ न बनीं तो वित्तीय बाजारों में अस्थिरता आ सकती है।
अंतरराष्ट्रीय जोखिम
  • अलग-अलग देशों की CBDC का आपस में कैसे एक्सचेंज होगा, यह बड़ी चुनौती है।अगर सही मानक (standards) नहीं बने तो सीमा-पार लेन-देन (Cross-border transactions) जटिल हो सकते हैं।
कानूनी और रेगुलेटरी मुद्दे
  • CBDC से जुड़े साइबर अपराधों, धोखाधड़ी और डेटा सुरक्षा पर नए कानून बनाने होंगे।
  • गलत इस्तेमाल रोकने के लिए ठोस फ्रेमवर्क जरूरी होगा।
नकारात्मक पहलू (Social Risks)
  • डिजिटल करेंसी के चलते नकदी का इस्तेमाल घट सकता है, जिससे उन लोगों को दिक्कत होगी जो केवल नकद पर निर्भर हैं।
  • निगरानी (Surveillance) बढ़ने से लोगों को यह डर हो सकता है कि सरकार उनकी हर गतिविधि पर नज़र रख रही है।

भारत में डिजिटल रुपया का भविष्य

  • Digital India Mission में योगदान
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार में इस्तेमाल
  • धीरे-धीरे Cashless Economy की ओर बढ़ना
  • Banking और FinTech पर प्रभाव
Digital Real Estate
डिजिटल रियल एस्टेट : भविष्य की ज़मीन इंटरनेट पर

अन्य देशों में CBDC की स्थिति

  • चीन का Digital Yuan
  • नाइजीरिया का eNaira
  • यूरोप और अमेरिका की CBDC योजनाएँ

आम आदमी पर असर

  • Online Payments और UPI से आसान इंटीग्रेशन
  • छोटे व्यापारियों को फायदा
  • EMI, Loan Repayment, Salary Payments में बदलाव

निवेशकों और छात्रों के लिए महत्व

  • Future Jobs in FinTech & Blockchain
  • Investment Opportunities
  • Global Trade में Digital Rupee का इस्तेमाल

निष्कर्ष 

डिजिटल रुपया यानी CBDC भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा बदलाव है। यह न केवल लेन-देन को तेज़, सुरक्षित और सस्ता बनाएगा बल्कि नकली नोट और कैश मैनेजमेंट जैसी समस्याओं को भी कम करेगा। हालांकि शुरुआती दौर में इसमें तकनीकी चुनौतियाँ, साइबर सुरक्षा और लोगों की जागरूकता जैसी दिक्कतें आ सकती हैं।

अगर सरकार और RBI इन चुनौतियों को सही तरीके से संभालते हैं, तो आने वाले समय में डिजिटल रुपया भारत की अर्थव्यवस्था को और मज़बूत और आधुनिक बना देगा।

 

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